आप एक स्टूडेंट्स हो जो Class 12th में पढ़ाई कर रहे हो और आप के पास इतिहास विषय है और आप चाहते हो की इतिहास में अच्छे मार्क्स से पास करो और इसके लिए आपको नोट्स की जरुरत होगी। आपको इस आर्टिकल में Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi Pdf मिलने वाला है।
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Contents
- 1 Class 12 History Chapter 11 Notes
- 2 Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi
- 3 विद्रोही और राज के बारे में जानकारी
- 4 सैन्य विद्रोह कैसे शुरू हुई थी
- 5 शाह मल कौन था?
- 6 मौलवी अहमदुल्ला शाह कौन था
- 7 सहायक संधि क्या है?
- 8 भविष्यवाणियां और अफवाहें
- 9 लोगों का अफवाहों पर विश्वास करने के कारण
- 10 1857 की क्रांति के परिणाम क्या हुआ?
- 11 Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi Pdf
- 12 विद्रोही और राज FAQ
- 13 1857 की क्रांति के नायक कौन थे?
- 14 1857 के विद्रोह के मुख्य कारण क्या थे?
- 15 1857 में दिल्ली का सम्राट कौन था?
- 16 Conclusion
Class 12 History Chapter 11 Notes
PDF: | Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi Pdf |
Subject: | History |
Class: | 12 |
Chapter: | 11 |
Topic: | विद्रोही और राज नोट्स |
Language: | Hindi |
Text Book: | NCERT |
File Size: | 357 kb |
Website: | Pdfhindi.in |
Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi
Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi Pdf को एक अनुभबी इतिहास के शिक्षक द्वारा बनाया गया है। इस नोट्स की पीडीएफ 15 पेज की है और इस Pdf की साइज है 357 kb का।
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Class 12 History Chapter 1 Notes In Hindi Pdf |
राजा, किसान और नगर | Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi Pdf |
विद्रोही और राज के बारे में जानकारी
इसमें 1857 की आंदोलन के बारे में बताया गया है और कैसे इस आंदोलन से बहुत सारे विद्रोहियों का जन्म हुआ है। इस आंदोलन के बाद बहुत सारे आंदोलन का जन्म हुआ है।
1857 का आंदोलन सिपाही विद्रोह था जोकि बंगाल के बैरकपुर में मंगल पांडे नामक एक सिपाही ने शुरू की थी। मंगल पांडे ने सूअर की चर्वी से बानी कारतूसों को इस्तेमाल करने से मना कर दिया था जिसके चलते यह आंदोलन शुरू हुआ।
यह विद्रोह भारत की आजादी की पहली विद्रोह थी। इस विद्रोह का शुरू होने का मुख्य कारण था सूअर के चर्बी से बानी कारतूसों को इस्तेमाल करने की बजह। भारतीय जितने भी सिपाही ईस्ट इंडिया कंपनी में थी वह सारे सिपाही इस कारतूसों का इस्तेमाल करने से मना कर दिया था।
लेकिन कंपनी इस कारतूस को इस्तेमाल करने के लिए सिपाहियों के साथ जबरदस्ती किया करते थे। और आखिर में सिपाहियों ने इसके खिलाफ विद्रोह करदी।
सैन्य विद्रोह कैसे शुरू हुई थी
- सिपाहियों ने सबसे पहले शस्त्रागार पर कब्ज़ा किया और फिर सरकारी खजाने लुटा था।
- उसके बाद दफ्तर, टेलीग्राफ, जेल, रिकॉर्ड रूम, बंगलों और सरकारी इमारतों पर हमला किया और सारे रिकॉर्ड जला दिया।
- अंग्रेजों को सफाया करने के लिए हिन्दू और मुसलमानों ने लोगों को एकजुट होने के लिए सारे भाषा में अपील जारी की।
- इस विद्रोह के साथ लोग जुड़ते गया और हमलों का क्षेत्र बड़ता गया।
- इस विद्रोह से ब्रिटिश सरकार के ताशों की तरह बिखर गया था।
- इस सैन्य विद्रोह को रोकने के लिए ब्रिटिशों के पास कोई रास्ता नहीं था।
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शाह मल कौन था?
शाह मल उत्तर प्रदेश के बड़ौत परगना के एक गांव में रहने वाला व्यक्ति था। जिसने सैन्य विद्रोह में भाग लिया था और लोगों को इकट्ठा करके विद्रोह में शामिल किया था। उसके बाद अंग्रजो के हाथों युद्ध में मारा गया।
शाह मल ने चौरासी देश के मुखियाओं और काश्तकारों को एकत्रित किया और उसने रात के अँधेरे में गाँव गाँव जाकर लोगों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए एकत्रित किया। शाह मल ने बहुत सारे स्थानों में जाकर लोगों को एकत्रित करके अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा कर दिया।
किसान महाजनों और व्यापारियों का घर बार लूटने लगे और बेदखल भूस्वामियों ने अपनी छीनी हुई जमीनों पर कब्ज़ा कर लिया। शह मल के द्वारा एकत्रित करने वालो विद्रोहियों ने अंग्रेज सैन्य की रास्ता रोकने के लिए सड़कों को खोद डाला, पुल को तोड़ डाला और सरकारी इमारतों में हमला कर दिया।
शाह मल ने एक अंग्रेज अफसर का बंगले में डेरा दाल दिया और उसने बंगले का नाम दिया न्याय भवन। इसी न्याय भवन से शाह मल झगड़ों और विवादों का फैसला करता था। 1857 के जुलाई महीने में शाह मल को युद्ध में अंग्रेजों ने मार दिया।
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मौलवी अहमदुल्ला शाह कौन था
मौलवी अहमदुल्ला शाह हैदराबाद के थे और वह एक उपदेशक था। 1857 के विद्रोह में बहुत सारे मौलबियों ने भूमिका निभाई थी उन मौलबियों में से मौलवी अहमदुल्ला शाह भी एक था।
वह गाँव गाँव जाकर विद्रोह के लिए प्रचार किया करते थे और उनके साथ बहुत सारे लोग जुड़ गए। वह पालकी में बैठकर जाया करते थे और पालकी के आगे ढोल और पीछे मौलबी का समर्थक चलते थे।
मौलबी के साथ हजारों लोगो का जुड़ते हुए देखकर अंग्रेज परेशान हो गया था। 1856 में ब्रिटिश पुलिस ने मौलवी अहमदुल्ला शाह को लखनऊ में उपदेश देने से रोक दिया था। और फिर उन्हें फ़ैजाबाद के जेल में 1857 में बंद कर दिया गया।
जब वह जेल से रिहा हुए तब उन्हें नेता चुन लिया 22वीं नेटिव इन्फ़्रेंटी की विद्रोहियों ने। मौलबी ने चिनहाट के विख्यात संघर्ष में हिस्सा लिया था और हेनरी लॉरेंस की टुकड़ियों को मुँह की कहानी पड़ी थी।
सहायक संधि क्या है?
यह एक ऐसी व्यवस्था थी जहाँ लोगों को शर्त माननी पढ़ती थी अंग्रेजों के साथ। इस व्यवस्था को यानि सहायक संधि को 1798 में लॉर्ड वेलेज्ली ने तैयार की थी। लोगों को इस संधि को अंग्रेजों के साथ करनी पढ़ती थी और इसको मानने के लिए कुछ शर्त मानना होता था।
- इस संधि को करने के बाद सहयोगी पक्ष किसी भी शासक के साथ संधि नहीं कर सकता और नहीं किसी युद्ध में हिस्सा ले सकता है अंग्रेजों के अनुमती के बिना।
- सहयोगी को अंग्रेजों बाहरी और आंतरिक किसी भी चुनौतियों से हिफाजत करेगा।
- ब्रिटिश सैनिक की एक टुकड़ी हरवक्त तैनाव रहेगी सहयोगी के भूक्षेत्र में।
- ब्रिटश सैनिक की टुकड़ी का पूरी देखभाल की व्यबस्था सहयोगी पक्ष को करनी पड़ेगी।
भविष्यवाणियां और अफवाहें
- 1857 की विद्रोही में भविष्यवाणी और अफवाह की भी एक बहुत बड़ी अहम भूमिका निभाई थी।
- कमांडर केटेन राइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था की 1857 के जनवरी महीने की तीसरी हप्ते शस्त्रागार में काम करने वाले एक नीची जाती के सिपाही को पानी पिलाने के लिए कहा था लेकिन पिलाने वाला सिपाही ब्रह्मण था और उसने साफ मना कर दिया और कहा की वह नीची जाती का है और पानी पिने से लोटा अपवित्र हो जायेगा।
- खलासी ने ब्राह्मण सिपाही को जावद देते हुए कहा की जल्दी ही तुम्हार जाती भ्रष्ट होने वाली है क्योंकि गाय और सूअर की चर्बी से बानी कारतूसों को तुम्हे अपने मुँह से खींचना पड़ेगा। गाय और सूअर की चर्बी से बानी कारतूस के बारे में मेरठ से दिल्ली आनेवाली सिपाहियों ने बहादुरशाह जफ़र को बताया। जिससे उनका धर्म नष्ट हो रहा है
- उत्तर भारत में 1857 की शुरुआत तक एक अफवाह फैल चुकी थी की अंग्रेजों सरकार हिन्दू तथा मुसलमानों की जाती नष्ट करने की साजिश रच रही है।
लोगों का अफवाहों पर विश्वास करने के कारण
- कारतूस वाली अफवाह के समय से ब्रिटिश सरकार पश्चिमी शिक्षा, विचारों और संस्थानों के जरिए भारतीय समाज को सुधारने के लिए उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्थापित किए।
- अंग्रेजों ने सती प्रथा को ख़त्म करने और विधवा विवाह को वैध देने के लिए कानून बनाए थे।
- झांसी और सतारा जैसे बहुत सारे रियासतों को कब्ज़ा करके वहां अपने शासन व्यवस्था शुरू किया।
1857 की क्रांति के परिणाम क्या हुआ?
- 1857 की क्रांति के बाद भारत इंग्लैंड सरकार के पास चला गया और ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन खत्म हो गयी।
- मुग़ल सम्राट का शासन इसी क्रांति के बाद खत्म हो गयी।
- भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय बना दिया।
- भारत के देसी राज्यों को अंग्रेजों ने अपने साम्राज्य में मिलाने से मना कर दीया।
- अंग्रेजों ने फुट डालो और शासन करों निति को अपनाया।
- 1857 की क्रांति के बाद भारत में यातायात के साधनों का विकास हुई।
- इस विद्रोह ने अंग्रेजों को पहली बार जड़ से हिला दिया था।
Class 12 History Chapter 11 Notes In Hindi Pdf
विद्रोही और राज FAQ
1857 की क्रांति के नायक कौन थे?
1857 की क्रांति के नायक थे मंगल पांडे जसने इस क्रांति क शुरआत की थी।
1857 के विद्रोह के मुख्य कारण क्या थे?
1857 के विद्रोह के मुख्य कारण थे गाय और सूअर की चर्बी से बनी हुई कारतूसों को मुँह से न खींचना।
1857 में दिल्ली का सम्राट कौन था?
1857 में दिल्ली का सम्राट था वहादुरशाह जफ़र।
Conclusion
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